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Prateek Kashyap

Prateek Kashyap
on Feb 07, 2022
image source : Prateek kashyap

"दर्द में हैं, आबाद रहने दो वक्त से हैं, बर्बाद रहने दो ना करो मरहम मर्ज़ों पर मेरे ज़ख्मों को मेरे शादाब रहने दो।"

एक मुखौटे के पीछे छिपे कई चेहरों में से एक चेहरा लेखक का है। एक उधमी, मुसाफ़िर और प्रेक्षक के मिश्रण से बना हुआ एक व्यक्तित्व जिसने अपने लिए गए अनुभवों को पूरी सच्चाई के साथ व्यक्त करने का प्रयास किया है।

अपने आस-पास के अनुभवों से रोजाना सीखने के उत्साह पर भरोसा करते हुए, वह दिन-ब-दिन खुद से प्रतिस्पर्धा कर रहा है। वह एक किताबी व्यक्ति नहीं है, बल्कि अन्य लोगों की कहानियों को सुनने की ओर ज़्यादा देखता है। जो यह मानता है कि एक से दूसरे में प्रेम के संचरण से ही समाज को गौरवान्वित किया जा सकता है। खुद को पाने की राहों पर शहर से शहर भटकता रहता है। एक खानाबदोश दिल लेकर, प्यार में दृढ़ विश्वास रखते हुए वह बस चल रहा है।

 

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1 comments

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    Rishi
    2 years ago

    Congratulations bhaiyaaa , i m curious to read your book 😊